Translation Demo 2
This post brings back memories of a bookmark that I constantly saw, because I kept it in a book I frequently read. The bookmark had a quote on it, the same quote that opens this little passage. Here is the Hindi translation of "Intelligence and Accepting Fallibility." (English: https://astronomyamateurs.blogspot.com/2017/08/intelligence-and-accepting-fallibility.html)
Original start date and completion: July 18, 2019
दोषक्षमता
स्वीकार करने की बुद्धिमत्ता
“अक़्ल होना व्यक्तित्व का भाग नहीं
है, न ही ये विवाद, विश्वास, मत, या तर्क का परिणाम है। अक़्ल तब आती है जब दिमाग
को अपनी दोषक्षमता समझने लगती है, अपनी काबिलियत और औकात समझने लगती है।“
इस विषय पर निबंध लिखने की इच्छा होती है।
अक़्ल की सरल परिभाषा तो यही है कि ये आपके पास कितनी जानकारी है, इस बात का नाप
है। ग़ौर से सोचा जाए, तो इस परिभाषा में खुद की दोषक्षमता समझना भी जानकारी ही
है।
दोषक्षमता – हमारी दोष, या ग़लती करने की
क्षमता। इसकी समझ होना मतलब इस बात को स्वीकार करना कि हम भगवान नहीं हैं, हमने भी
ग़लती की है। इतना ही नहीं, तो ग़लती सुधारने की बहादुरी और आगे वही गलती न दोहराने
की समझदारी भी ज़रुरी है, भले ही आप अपनी ग़लती की कितनी ही सफाई क्यों न दे सकें।
अपनी दोषक्षमता पहचानना एक बड़ा और कठिन
कदम है। ये कदम उठाने में कुछ हद तक खुद के साथ कठोर होना पड़ता है, और इसका
परिणाम इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी ग़लतियाँ कितनी थीं और कितनी गंभीर थीं। ये
जानकारी कि आपके कारण किसी को दुख या दर्द हुआ है...ये मन को ठेस पहुँचाती है।
एक बात पक्की: दोषक्षमता पहचान न पाना शायद
ही कभी पाप होता है। और दोषक्षमता पहचान लेने से दोषक्षमता से छुटकारा नहीं मिलता।
दोषक्षमता पहचानने से “अक़्लमंदी” ऐसी आती
है कि आपकी दोषक्षमता आपको सताती रहती है। इसे छुटकारा पाना तो नहीं कह सकते, लेकिन
विरोधाभास यह है कि दोनों बातों का परिणाम एक ही है।
आपकी दोषक्षमता जब आपको हर पल सताती है, तब
आप दुनिया को प्रश्न पूर्वक नज़रिये से देखने की आदत डाल लेते हैं। ये उन लोगों की
कमी है जो अपनी दोषक्षमता पहचान नहीं पाते, क्योंकि ऐसे लोग दुनिया या समाज से
अपेक्षाएँ रखते हैं – ऐसी अपेक्षाएँ जिनकी खुले दिमाग वाले व्यक्ति को कोई ज़रुरत
नहीं। एक तरह से दोषक्षमता पहचानना झगड़ा और अहंकार मिटाने के लिए आवश्यक है।
दुनिया को हर बार नई नज़र से देखने का फ़ायदा यही है कि आपकी जानकारी बढ़ती है।
साथ ही जानकारी का माप, अर्थात “अक़्लमंदी” भी बढ़ती है। हमारा उद्देश्य यही तो है!
Original start date and completion: July 18, 2019
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