Translation Demo for You, Practice for Me






Back in 2016-17, I used to contribute to a blog: astronomyamateurs.blogspot.com

Now, I'm trying my hand at translation. To challenge myself, I took an article I wrote on there (https://astronomyamateurs.blogspot.com/2016/08/mathematical-vomit-i-know-how-charming.html) and translated it to Hindi. There were three objectives to this: to have a demo of my translation ready, to practice Hindi typing, and, of course, to improve my skills. It's not the famous Kamlesh Dhavale, but I hope you'll enjoy the result anyway.

गणित की गणना (मैं समझाती हूँ।)


चेतावनी: ये एक लंबा लेख है। नींद लग जाए तो लेखक को मत कोसना।

किसी भी एक आँकड़े के बारे में सोचिए। बड़े-छोटे की चिंता मत कीजिए। अपने मन की आँख में उसे देखते रहिए: उसकी बनावट, वो कौन-सी संख्या दर्षाता है। क्या इस अंक से आपको खास लगाव है?

अब कल्पना कीजिए, आप इस आँकड़े के साथ क्या-क्या कर सकते हैं। आप इसमें कुछ जोड़ सकते हैं, इसमें से या इसको घटा सकते हैं, गुणाकार कर सकते हैं, इसको या इससे भाग कर सकते हैं। ये तो फिर भी छोटी-छोटी क्रियाएँ हैं।

कल्पना कीजिए ये अंक किस बात का प्रतीक हो सकता है। इसके कई जवाब हैं; आपका एक अंक दुनिया की किसी भी चीज़ का वर्णन कर सकता है। उदाहरणार्थ: “तीन शब्द” या “तीन अक्षर”। एक अंक, उसके साथ एक संज्ञा। आप जानते होंगे कि यहाँ आपका अंक एक विशेषण की भूमिका निभा रहा है। और ये तो बस शुरुआत है।

अब जोड़ना-घटाना तो बच्चे भी कर सकते हैं। हम इस अंक के साथ थोड़ी और खिलवाड़ करते हैं। एक समकोण त्रिभुज में आप अपने अंक से त्रिकोणमितीय अनुपात निकाल सकते हैं (सरल शब्दों में, आपके चुने हुए अंक और दो और अंकों  का आपस में कितने अलग-अलग तरीकों से भाग किया जा सकता है)। इससे आगे की बातें समझना और समझाना कठिन है, लेकिन अभी के लिए हमें जिस दुनिया में जाना है, उसकी चाबी मिल गई है। पूरी दुनिया नहीं भी देख पाए तो कोई बात नहीं: आज तक कोई भी नहीं देख पाया है।

आप समझ ही गए होंगे कि अभी तक जो हम कर रहे थे, वो गणित ही तो था – वही गणित जिसे इतनी बुरी तरह कोसा जाता है कि अब वह मज़ाक बन गया है। लेकिन जो आपको समझ नहीं आता (या समझना नहीं चाहते), उसकी ताकत का न आपको अंदाज़ा है, न ही कभी हो पाएगा।

क्या आप जानते हैं कि जब आप एक सेल्फ़ी लेते हैं, तब उस तस्वीर के रंगों का वर्णन अंकों से किया जाता है? या जिस यंत्र से आप ये लेख पढ़ रहे हैं, वह सिर्फ़ 0 और 1 पर की हुई गणनाओं पर चलता है? क्या ये ग़ज़ब की बात नहीं है, कि आपकी हर एक साँस का वर्णन केवल कुछ अंकों और उनके बीच के चिह्नों से किया जा सकता है? और तो और ये भी एक मज़ेदार बात है कि कोई भी गणितीय समीकरण केवल चार साधारण क्रियाओं से सुलझाया जा सकता है – जोड़ना, घटाना, गुणाकार, और भाग। सरल शब्दों में, पाँचवीं तक का गणित। With great power comes great responsibility,” ये एक अंग्रेज़ी कहावत है, जिसका सारांश ऐसा है कि ताकत होना एक बात है, और उस ताकत का नियंत्रण करना अलग ही बात है। ये वाक्य मुझे यहाँ इसलिए सूझता है क्योंकि हम बड़ी आसानी से बच्चों को एक बेहद ताकतवर औज़ार सौंप देते हैं, क्योंकि गणित अपने आप में ही ताकतवर है।

हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए बम में गणित है। गणित हमारे सूरज और एक-एक तारे की ऊर्जा है। हमारे ब्रह्मांड की रचना करने वाले प्रलय, “बिग बैंग” का वर्णन गणित करता है। गणित में “गामा रे विस्फोट” की ताकत है, जो हमारी पृथ्वी को कुछ पलों में राख बना सकता है। इस सब का सारांश कुछ अंकों और जोड़ना, घटाना, गुणन, और भाग के इस्तेमाल से किया जा सकता है।

लेकिन इसकी पढ़ाई – सौ-दो सौ सवाल हर रोज़ करना, घंटे-घंटे रटते बैठना – किसी को भी रुला देती है। मुझे याद है कि 10वीं तक मैं इसी डर से पढ़ाई करती थी कि ज़िंदगी भर मुझे गणित इसी तरह पढ़ाया जाएगा, जबकि रट्टा तो गणित की परिभाषा में है ही नहीं।

10वीं तक का गणित सच में  अपने सौंदर्य को दबा रखता है। इस सौंदर्य का मज़ा पाने के लिए किसी को भी दस साल क्यों रोना पड़ता है?

बात ऐसी है कि मुझे कैसा गणित पसंद है ये मुझे काफ़ी पहले पता चल गया था: मुझे ऐसा गणित पसंद है जिसका अनुवाद हमारे आस-पास की दुनिया के वर्णन में किया जा सके. उदाहरणार्थ ऐसा गणित जो एक पत्ती के आकार को दर्शाता है, या फैंकी हुई गेंद की उड़ान को। लेकिन केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का 10वीं तक का गणित ऐसा कुछ नहीं सिखाता। ये समझने पर मैंने गणित को कोसना छोड़ दिया। वैज्ञानिक रिचर्ड फाईनमन ने कहा था, “जीव विज्ञान की नीव रसायन शास्त्र है, और रसायन शास्त्र की नीव भौतिक विज्ञान है।“ और भौतिक विज्ञान की भाषा गणित है, और किसी और भाषा की तरह इसका भी अनुवाद किया जा सकता है।

न्यूटन ने हमें कैल्कुलस की बुनियादी जानकारी दी। आज वही कैल्कुलस पढ़कर पसीना छूटता है। लेकिन एक बार जो सही जवाब आ जाए, तो ऐसा लगता है कि जादू कर बैठे। और आप अचम्भे में पड़ जाते हैं कि एक आदमी ने इतना सब कैसे खोज निकाला।

लेकिन सर आईसक न्यूटन की खूबी यही थी कि वे अपने खोज के सूत्र पर्यावरण को मानते थे। वे अपनी दुनिया का वर्णन गणित में करते थे। इसकी विपरीत क्रिया भी संभव है।

इस लेख को पढ़ने की शुरुआत आपने एक आँकड़े के बारे में सोचकर की थी। आशा करती हूँ कि उस एक आँकड़े में कितनी बड़ी दुनिया छिपि है, ये दर्शाने में मैं सक्षम रही। यदी ऐसा है, तो ये भी संभव है कि आपका दुनिया देखने का नज़रीया भी बदल जाए।

Original date of finishing: July 15, 2019

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