वही शक्ति, वही देवी - "She is Beauty, She is Grace" Translated
शादी होने से पहले
एक स्त्री की ज़िंदगी कई आनंद भरे लम्हों की कहानी होती है।
एक बेटी होकर जब मैं अपनी माँ और दादी को
देखती हूँ, तब ऐसा लगता है कि शादी होने के बाद भी ऐसे लम्हे मिलें, ये भाग्य का
सवाल है। ये महिलाओं की
बहादुरी होती है कि वे ये निर्णय लेती हैं (हालांकि कई बार ये उनके हाथों में नहीं
रहता), न जानते हुए कि आगे उन्हें आनंद के लम्हे मिलते रहेंगे, या कुछ और. मेरी
मम्मी और दादी नहीं जानते थे कि उनकी नई ज़िन्दगी पहले से कैसे अलग होगी, लेकिन ये
जान लेने का साहस उनमें था। मुझमें नहीं है।
मेरा अब तक ये विश्वास रहा है (और इसके खिलाफ़
मेरे पास सबूत नहीं है) कि किसी से शादी करने की परिभाषा में ही "बंधन" कहीं न कहीं आ
जाता है, भले ही किसी भी हद तक। आप केवल एक इंसान से ही नहीं बंध जाते – उनकी
विचारधारा आपको अपनानी पड़ती है, उनका परिवार, उनके कर्तव्य, और बहुत कुछ। आपकी
इच्छा हो या न हो, आप अपने साथी की शैली और अपने नए वातावरण के अनुसार खुद को
ढालने लगते हैं। और जो लम्हे आप पीछे छोड़ आए हैं...वे अब केवल आपकी यादों में घर
बनाते हैं, शायद ही आपकी नई ज़िन्दगी को रोशनी दे पाएँ।
मेरी दादी, माँ, और मेरा ये सौभाग्य है कि
मुझसे पहले की दो पीढ़ियों की यादें ज़िंदा रखने के लिए उपाय हैं – रिश्तेदार और
पुराने मित्र। उनके लिए, ये साधारण ज़िन्दगी के बंधनों से छुटकारा पाने का ज़रिया
है। मेरे लिए, ये एक ऐसी खिड़की है जो मुझे उन महिलाओं का असीम आनंद से भरा चेहरा
दिखाती है, जिनकी झलक शायद मुझमें दिखती है।
मैं इस लेख को दुख
भरा नहीं बनाना चाहती। बात ऐसी है कि...इस संदर्भ में मेरी दादी और मम्मी का चहरा
ऐसा खिलता है जिसका जवाब नहीं। मेरी दादी घंटों तक ऐसी घटनाओं, जगहों और लोगों के
बारे में बात करती रहेगी जिनकी मुझे कोई जानकारी नहीं, लेकिन मैं फिर भी वहीं बैठे-बैठे
उनके चेहरे पर के आनंद में ही अपना आनंद पा लूंगी। दादी के चेहरे पर का वह भाव मैं
भी उनमें नहीं ला सकती, लेकिन ये रूप उनपर बड़ा सुन्दर दिखता है। काश हम उसे और
देख पाते।
और मेरी मम्मी का क्या कहना! मेरा उनसे ऐसा नाता है जैसा उनका भी अपनी माँ से नहीं था। मैंने उनकी कहानियाँ विस्तार से सुनी है, ऐसी कहानियाँ
जो मुझमें कई अलग-अलग भावनाएँ उत्पन्न करती हैं। फिर उनके साथ जाकर उन पात्रों से
मिलना जिनका उन यादों में हाथ था – ये मैं बहुत बड़ा सौभाग्य मानती हूँ। और फिर
उनकी बेतकल्लुफ हँसी सुनना और उनका निश्चिंत चेहरा देखना – उन्हें कैसे अपने
सौंदर्य पर शक हो सकता है?
इंसान अनूठी चीज़ों
को मूल्य देते हैं। और मैं उन लम्हों को मूल्य देती हूँ जब मेरी माँ और दादी पर रोज़मर्रा
की चिंताओं के बादल नहीं मँडराते।
Click here to read the original article.
Translated between 09-05-2020 and 11-05-2020.
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